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Fact Check : महिला के साथ मारपीट करते परिवारजनों के वीडियो को जातिवाद का रंग देकर किया जा रहा वायरल

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि महिला के साथ मारपीट के वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। इस घटना में किसी प्रकार का कोई जातिवादी  एंगल नहीं है। करीब तीन साल पुरानी घटना के वीडियो को माहौल खराब करने की मंशा से फेक और भड़काऊ दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। असल में महिला के साथ मारपीट करने वाले लोग उसी के परिवार के थे। 

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। एक महिला के साथ मारपीट करते कुछ लोगों का वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो को हाल का बताते हुए शेयर कर यूजर्स दावा कर रहे हैं कि महिला दलित समुदाय से है और वो नदी में नहा रही थी। लेकिन कुछ लोग महिला पर नदी को अपवित्र करने का आरोप लगाकर मारपीट करने लगे। 

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। इस घटना में किसी प्रकार का कोई जातिवादी एंगल नहीं है। करीब तीन साल पुरानी घटना के वीडियो को माहौल खराब करने की मंशा से फेक और भड़काऊ दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। असल में महिला के साथ मारपीट करने वाले लोग उसी के परिवार के थे। 

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक यूजर वीडियो शालु ने वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “नदी में दलित लड़की ने किया स्नान, नदी हुआ “अपवित्र”, हुनूद ने लड़की पर अत्याचार कर किया नदी को पवित्र!”

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।

पड़ताल 

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स की मदद से सर्च किया। इस दौरान हमें दावे से जुड़ी रिपोर्ट आजतक की वेबसाइट पर 4 जुलाई 2021 को प्रकाशित मिली। रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश के धार जिले के  के टांडा थाना अंतर्गत ग्राम पीपलवा में महिला के साथ मारपीट की गई। महिला के परिवार जनों ने महिला को बुरी तरीके से डंडे और लात-घूंसों से पीटा।

पड़ताल के दौरान हमें दावे से जुड़ी एक रिपोर्ट इंडिया टीवी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर चार जुलाई को अपलोड हुआ मिला। मौजूद जानकारी के मुताबिक, मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदाय की दो महिलाओं को मामा के बेटों से फोन पर बातचीत करने पर उनके परिवारजनों ने  बेरहमी से पीटा। वीडियो के वायरल होने के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए इस मामले में सात  लोगों को गिरफ्तार किया था। 

टाइम्स नाउ की वेबसाइट पर 4 जुलाई 2021 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए टांडा थाना प्रभारी विजय वास्कले ने कहा, “यह घटना 22 जून की पीपलवा गांव की है। इस घटना का वायरल वीडियो 25 जून को पुलिस के पास पहुंचा। हालांकि, 19 और 20 साल की उम्र की पीड़िताओं को शुरू में शिकायत दर्ज कराने में डर लग रहा था। इसके बाद एक महिला को थाने लाया गया और उसका बयान दर्ज किया गया। उसने कहा कि उनके चचेरे भाई और परिवार के अन्य सदस्यों ने मारपीट करने से पहले उन्हें गांव के एक स्कूल के पास रोका।”

पहले भी यह दावा वायरल हो चुका है। उस दौरान विश्वास न्यूज ने दावे की पड़ताल कर सच्चाई सामने रखी थी। उस समय हमने वायरल वीडियो को लेकर नईदुनिया धार जिले के ब्यूरो चीफ प्रेम विजय पटेल से संपर्क किया था। हमने वीडियो को उनके साथ शेयर किया था। उनका कहना था, “वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। यह वीडियो हाल-फिलहाल में हुई घटना का नहीं है। असल में यह वीडियो करीब तीन साल पहले हुई घटना का है।  महिला आदिवासी समुदाय से है और पीपलवा गांव की रहने वाली है। महिला के साथ मारपीट उसके घरवालों ने की थी। उसके रिश्तेदारों ने युवतियों को फोन पर लड़कों से बात करने पर पीटा था। इस घटना में आरोपियों पर 307 जैसी कठोर धारा लगाई गई थी। तकरीबन नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया था। मगर उन्हें बाद में जमानत मिल गई थी।”

अंत में हमने वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। यूजर ने प्रोफाइल में खुद को बिहार का रहने वाला बताया है। 

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि महिला के साथ मारपीट के वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। इस घटना में किसी प्रकार का कोई जातिवादी  एंगल नहीं है। करीब तीन साल पुरानी घटना के वीडियो को माहौल खराब करने की मंशा से फेक और भड़काऊ दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। असल में महिला के साथ मारपीट करने वाले लोग उसी के परिवार के थे। 

  • Claim Review : नदी में दलित लड़की ने किया स्नान, नदी हुआ
  • Claimed By : फेसबुक यूजर वीडियो शालु
  • Fact Check : भ्रामक
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