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Fact Check : देवघर के नाम पर वायरल हुई इंदौर की मुस्लिम महिलाओं की 4 साल पुरानी तस्‍वीर

  • By: Ashish Maharishi
  • Published: Jul 18, 2019 at 05:10 PM
  • Updated: Jul 19, 2019 at 11:32 AM

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया पर एक तस्‍वीर वायरल हो रही है। इसमें कुछ मुस्लिम महिलाओं को बुर्के में देखा जा सकता है। ये सभी महिलाएं कांवड़ लिए हुए दिख रही हैं। दावा किया जा रहा है कि मन्‍नत के लिए कई मुस्लिम लड़कियां झारखंड के देवघर जा रही हैं।

विश्‍वास टीम ने जब इस पोस्‍ट की पड़ताल की तो पता चला कि इस तस्‍वीर का देवघर से कोई संबंध नहीं है। ओरिजनल तस्‍वीर इंदौर की है। 2015 में सावन के अंतिम सोमवार को इंदौर में एक कांवड़ यात्रा निकाली गई थी। तस्‍वीर उसी दौरान की है।

क्‍या है वायरल पोस्‍ट में

फेसबुक पर शिवम कुमार हिंदू नाम के अकाउंट से मुस्लिम महिलाओं की कांवड़ वाली पुरानी तस्‍वीर को अपलोड करते हुए दावा किया गया : ”कई मुस्लिम लड़किया चली देवघर ****** मन्नत मांगने। हे भोलेनाथ इनकी मनोकामना पूरी कर आजाद करें नर्क से।”

17 जुलाई 2019 को पोस्‍ट की गई इस तस्‍वीर को अब तक 700 से ज्‍यादा बार शेयर किया जा चुका है। फेसबुक के अलावा यह तस्‍वीर ट्विटर और वॉट्सऐप पर भी अलग-अलग दावों के साथ वायरल हो रही है।

पड़ताल

विश्‍वास टीम ने सबसे पहले वायरल हो रही तस्‍वीर को गूगल रिवर्स इमेज में अपलोड करके सर्च किया। कई पेजों को स्‍कैन करने के बाद हमें ओरिजनल तस्‍वीर न्‍यूजट्रैकलाइव डॉट कॉम पर मिली। 25 अगस्‍त 2015 को पब्लिश की गई एक खबर में इस तस्‍वीर का इस्‍तेमाल किया गया था। खबर की हेडिंग थी इंदौर ने रचा इतिहास, कांवड़ लेकर निकलीं मुस्लिम महिलाएं।

खबर के मुताबिक, ”पहली बार सभी धर्म के लोगों ने कांवड़ यात्रा निकाली। इसमें हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्म की महिलाओं ने बाबा भोले की कांवड़ उठाई और उनका गुणगान करते हुए उन्हें जल चढ़ाया। इस कांवड़ यात्रा ने एकता और सामाजिक समरसता का संदेश दिया।”

खबर में बताया गया कि यह कांवड़ यात्रा इंदौर की संस्‍था साझा संस्कृति की ओर से निकाली गई थी। यह यात्रा मधुमिलन चौराहा स्थित हनुमान मंदिर से होते हुए गीता भवन मंदिर तक पहुंची थी।

विश्‍वास न्‍यूज ने अपनी पड़ताल जारी रखी। एक खबर हमें News18 की वेबसाइट पर भी मिली। 24 अगस्‍त 2015 को पब्लिश की गई खबर में बताया गया कि मुस्लिम महिलाओं ने बुर्का पहनकर कांवड़ उठाए। खबर से हमें पता चला कि 2015 के सावन के आखिरी सोमवार को यह कांवड़ यात्रा निकाली गई थी। यात्रा में मुस्लिम महिलाएं बुर्के में नजर आईं थी। इसी तरह बाकी धर्म की महिलाएं भी अपने पारंपरिक कपड़ों में यात्रा में शामिल हुई थीं।

इसके बाद विश्‍वास न्‍यूज ने Youtube पर अलग-अलग कीवर्ड टाइप करके इंदौर की 2015 की कांवड़ यात्रा के वीडियो को सर्च करना शुरू किया। इसके लिए हमने गूगल टाइम लाइन टूल का इस्‍तेमाल करते हुए अपनी खोज को 23 अगस्‍त से लेकर 27 अगस्‍त के बीच रखी। आखिरकार हमें उमेश चौधरी नाम के शख्‍स के Youtube चैनल पर कांवड़ यात्रा की वीडियो मिल ही गया। 26 अगस्‍त 2015 को अपलोड किए गए इस वीडियो को अब तक 1.86 लाख बार देखा जा चुका है।

इसके बाद विश्‍वास टीम ने इंदौर में मौजूद नईदुनिया के ऑनलाइन एडिटर सुधीर गोरे से संपर्क किया। उन्‍होंने हमें बताया कि इंदौर क्षेत्र में ऐसा परंपरागत रूप से होता रहा है, जब मुस्लिम महिलाएं सांप्रदायिक सौहार्द के लिए इस तरह की यात्रा में हिस्‍सा लेती रहीं हैं। ऐसे जुलूस में न सिर्फ मुस्लिम महिलाएं शामिल होती रहीं हैं, बल्कि स्‍वागत भी करती हैं।

वायरल पोस्‍ट की सच्‍चाई का पता लगाने के बाद अब बारी थी उस फेसबुक पेज की हकीकत सामने लाने की, जिसने पुरानी तस्‍वीर के आधार पर झूठ फैलाया। शिवम कुमार हिंदू नाम के इस पेज को 23 जून 2019 में बनाया गया। इसे फॉलो करने वालों की संख्‍या 33 हजार से ज्‍यादा है। पेज पर एक खास विचारधारा से जुड़ी पोस्‍ट अपलोड की जाती है।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास टीम की जांच में पता चला कि कांवड़ वाली मुस्लिम महिलाओं की तस्‍वीर देवघर नहीं, बल्कि इंदौर की है। ओरिजनल तस्‍वीर 2015 की है। वायरल पोस्‍ट में किए गए सभी दावे निराधार साबित हुए।

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  • Claim Review : हिंदू लड़कों से शादी की मन्‍नत के लिए कई मुस्लिम लड़कियां झारखंड के देवघर जा रही हैं।
  • Claimed By : शिवम कुमार हिंदू फेसबुक पेज
  • Fact Check : झूठ
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