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#FactCheckTrends: AI तस्वीरों से फेक दावों का जोर पकड़ता ट्रेंड, अप्रैल में कर्नाटक चुनाव समेत अन्य मुद्दों पर मिस-इन्फॉर्मेशन धड़ल्ले से वायरल

अप्रैल महीने में एआई क्रिएटेड इमेज को धड़ल्ले से शेयर किया गया। इसकी शुरुआत पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ आपराधिक मामले में मुकदमा चलाए जाने की मंजूरी मिलने के बाद हुई। दलाई लामा के मामले में भी ऐसी ही तस्वीर को शेयर कर दावा किया गया कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके अलावा भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दलाई लामा एवं पुतिन की एआई क्रिएटेड तस्वीर को शेयर किया गया, जिसे यूजर्स ने सही मानते हुए धड़ल्ले से शेयर किया।

  • By: Abhishek Parashar
  • Published: Apr 30, 2023 at 04:00 PM
  • Updated: May 26, 2023 at 03:25 PM

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। कर्नाटक चुनाव की घोषणा होने के बाद अप्रैल महीना सियासी गतिविधियों से भरा रहा और यही थीम फैक्ट चेक ट्रेंड्स में भी नजर आया। अप्रैल महीने में विश्वास न्यूज ने करीब 150 फैक्ट चेक रिपोर्ट्स प्रकाशित किए और इन रिपोर्ट्स में राजनीतिक विषयों से संबंधित फैक्ट चेक की बहुलता रही। शीर्ष राजनीतिक ट्रेंड्स पर नजर डालें तो इसमें कर्नाटक चुनाव को लेकर जारी फेक प्री-पोल सर्वे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की पुरानी और असंबंधित वीडियो क्लिप्स शामिल रहें, जिसका मकसद चुनावी दुष्प्रचार करना था।

उत्तर प्रदेश में माफिया से सांसद बने अतीक अहमद और उसकी भाई की हत्या अप्रैल की प्रमुख सियासी सुर्खियों में से एक रही और इससे संबंधित भ्रामक और फेक दावों को सोशल मीडिया पर जमकर शेयर किया गया। इस संबंध में न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट को धड़ल्ले से शेयर किया गया, जिसमें यह दावा किया गया था कि 2008 में अतीक अहमद ने तत्कालीन यूपीए सरकार को गिरने से बचाने में अहम भूमिका निभाई थी।

अप्रैल महीने में एआई क्रिएटेड इमेज को धड़ल्ले से शेयर किया गया। इसकी शुरुआत पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ आपराधिक मामले में मुकदमा चलाए जाने की मंजूरी मिलने के बाद हुई। दलाई लामा के मामले में भी ऐसी ही तस्वीर को शेयर कर दावा किया गया कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके अलावा भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दलाई लामा एवं पुतिन की एआई क्रिएटेड तस्वीर को शेयर किया गया, जिसे यूजर्स ने सही मानते हुए धड़ल्ले से शेयर किया।

फेक न्यूज मामले में गिरफ्तार किए गए यू-ट्यूबर मनीष कश्यप की रिहाई से संबंधित दावे, पाकिस्तान में आर्थिक संकट से संबंधित फेक और भ्रामक वीडियो व तस्वीरें कुछ अन्य शीर्ष ट्रेंड्स में शामिल रहें।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव

29 मार्च को चुनाव आयोग ने कर्नाटक में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा की और इसके बाद सोशल मीडिया पर पूर्व प्रचलित ट्रेंड्स के मुताबिक ही चुनावी दुष्प्रचारों का सिलसिला चल पड़ा।

हर चुनाव की तरह इस बार भी कर्नाटक चुनाव के नाम पर प्री-पोल्स सर्वे के गलत और मनगढ़ंत आंकड़ों को साझा कर मतदाताओं को भ्रमित करने की कोशिश की गई।

भारत में किसी भी तरह का प्री-पोल सर्वे नहीं करने वाली बीबीसी न्यूज के नाम पर ऐसे ही मनगढ़ंत सर्वे को वायरल कर दावा किया गया कि कर्नाटक में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर से सरकार बनाने जा रही है। वास्तव में बीबीसी भारत में किसी भी चुनाव में किसी भी तरह का प्री-पोल सर्वे नहीं करती है और प्रत्येक चुनाव में बीबीसी के नाम पर ऐसे पोल के आंकड़ों को शेयर कर मतदाताओं को भ्रमित करने की कोशिश की जाती है।

इसके अलावा कई कई पुराने और दूसरे राज्यों के चुनावी सर्वेक्षणों के पुराने आंकड़ों को राजस्थान चुनाव के प्री-पोल सर्वे का आंकड़ा बताकर शेयर किया गया। विश्वास न्यूज की इन दोनों फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को यहां और यहां क्लिक कर पढ़ा जा सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी

पिछले हर चुनाव के प्रचलित ट्रेंड्स के मुताबिक, कर्नाटक चुनाव में भी नेताओं के एडिटेड वीडियो क्लिप और ऑल्टर्ड इमेज के जरिए चुनावी दुष्प्रचार का ट्रेंडस देखने को मिला। पीएम मोदी के तमिलनाडु दौरे के बाद एक एडिटेड इमेज को शेयर कर यह बताने की कोशिश की गई कि वहां के लोगों ने प्रधानमंत्री के विरोध में प्रदर्शन किया। हमने अपनी जांच में इस तस्वीर को एडिटेड पाया।

वहीं एक अन्य पुराने वीडियो क्लिप के जरिए यह दुष्प्रचार करने की कोशिश की गई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘अशिक्षित’ हैं। विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में पाया कि इस दावे के साथ वायरल हो रहा वीडियो क्लिप उनके पुराने इंटरव्यू का है, जिसमें वह मुख्यमंत्री बनने के बाद की प्रशासनिक जिम्मेदारियों को संभालने के अनुभवों के बारे में बता रहे थे।

राहुल गांधी के मामले में भी यही ट्रेंड्स देखने को मिला। मानहानि मामले में गुजरात की स्थानीय अदालत के दोषी ठहराए जाने के बाद विनायक दामोदर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर की तरफ से मुकदमा दर्ज कराए जाने के मामले में चेतावनी दिए जाने के बाद सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि राहुल गांधी ने अपनी ट्विटर प्रोफाइल से बी डी सावरकर पर किए गए अपने सभी ट्वीट को हटा लिया है।

हमने अपनी जांच में इस दावे को गलत पाया। रंजीत सावरकर की धमकी के बाद राहुल गांधी के सावरकर पर ट्वीट हटा दिए जाने का दावा गलत और भ्रामक है, बल्कि राहुल गांधी की ट्विटर टाइमलाइन पर ऐसे ट्वीट मौजूद हैं, जिसमें वह सावरकर पर बोलते हुए नजर आ रहे हैं।

संसद से अयोग्य ठहराए जाने के बाद को राहुल गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड का दौरा किया था और वहां जनसभा में शामिल हुए थे। इसी सभा के छोटे-से वीडियो क्लिप को शेयर करते हुए दावा किया गया कि राहुल गांधी ने असंवेदनशील व्यवहार का परिचय देते हुए एक वैसे व्यक्ति की तरफ अपना हाथ बढ़ाया, जो शारीरिक रूप से विकलांग था।

हमारी जांच में यह दावा भी गलत और राहुल गांधी के खिलाफ दुष्प्रचार साबित हुआ। वायरल क्लिप एक छोटा अंश था, जिसे दुष्प्रचार की मंशा से उसके संदर्भ से अलग कर शेयर किया गया। सभा के दौरान व्हीलचेयर पर बैठा एक दिव्यांग व्यक्ति राहुल गांधी से मिलने आया और इसी दौरान उन्होंने अपना दाहिना हाथ राहुल गांधी की तरफ बढ़ाया, जिसे राहुल गांधी थाम लेते हैं। वायरल क्लिप में यह स्पष्ट रूप से नजर नहीं आ रहा है, लेकिन कार्यक्रम के वीडियो को लंबे फ्रेम में देखने से इसका संदर्भ स्पष्ट हो जाता है।

कर्नाटक चुनाव से संबंधित विश्वार न्यूज की अन्य रिपोर्ट्स को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

खूब वायरल हुआ अतीक अहमद के UPA सरकार को बचाने का झूठा दावा!

अप्रैल महीने में माफिया से डॉन बने अतीक अहमद और उसके भाई की हत्या सुर्खियों में रही। इसी संदर्भ में न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट धड़ल्ले से शेयर हुई और लगभग सभी समाचार संगठनों ने इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि 2008 में जब असैन्य परमाणु समझौते की वजह से वाम दलों के बाहरी समर्थन वापस लिए जाने के बाद यूपीए सरकार संकट में आ गई थी, तब तत्कालीन समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद अतीक अहमद ने विश्वास मत प्रस्ताव के पक्ष में वोट देकर तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) को गिरने से बचाने में अहम भूमिका निभाई थी।

हमने अपनी जांच में इस दावे को गलत और तथ्यों से परे पाया। उपलब्ध संसदीय दस्तावेज के मुताबिक, अतीक अहमद उन छह सांसदों में से एक थे, जिन्होंने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया था। इसके बाद समाजवादी पार्टी ने छहों सांसदों को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। विश्वास मत के दौरान समाजवादी पार्टी ने सभी सांसदों को इसके पक्ष में मतदान करने का व्हिप जारी किया था।

विश्वास न्यूज की इस फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।

इसी मामले में एक अन्य वीडियो को शेयर कर दावा किया गया कि अतीक की हत्या के आरोपियों ने ‘जय श्री राम’ का नारा नहीं लगाया। वहीं एक और भिन्न वीडियो को शेयर कर दावा किया गया कि यह एनकाउंटर में मारे गए अतीक अहमद के बेटे असद अहमद के जनाजे का वीडियो है। विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इन दोनों ही दावों को गलत पाया, जिसकी फैक्ट चेक रिपोर्ट को क्रमश: यहां और यहां पढ़ा जा सकता है।

AI क्रिएटेड तस्वीरों के साथ किए गए फेक दावे

अप्रैल महीने में फैक्ट चेक से संबंधित दावों में एक दिलचस्प ट्रेंड्स के तौर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई टूल्स की मदद से बनाई गई तस्वीरों को लेकर देखने को मिला, जिन्हें व्यापक स्तर पर शेयर किया गया। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर आपराधिक मामले में मुकदमा चलने की मंजूरी के बाद उनकी गिरफ्तारी के दावे के साथ कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं। विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में पाया कि ये तस्वीरें एआई टूल्स की मदद से बनाई गई थीं। यानी ये तस्वीरें सिंथेटिक मीडिया थी, जो डीप फेक की श्रेणी में आती है। दुनिया भर में ऐसी तस्वीरों को गलत दावे के साथ शेयर किए जाने का प्रचलन जोर पकड़ रहा है।

ऐसे ही समान मामले में दलाई लामा की तस्वीर को वायरल कर दावा किया गया कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। हमारी जांच में यह तस्वीर भी एआई टूल की मदद से तैयार की गई निकली। इसी तरह की दो अन्य तस्वीरों को शेयर कर दावा किया गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने बौद्ध धर्म को अपना लिया है। वास्तव में ये दोनों तस्वीरें भी एआई टूल्स की मदद से बनाई गई थी।

भारत में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐसी कई तस्वीरें वायरल हुई, जिन्हें एआई टूल्स की मदद से बनाया गया था। एआई टूल की मदद से बनाई गई अन्य वायरल तस्वीरों की फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।

2022 में विश्वास न्यूज ने केवल हिंदी में करीब डेढ़ हजार से अधिक फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को प्रकाशित किया और इन रिपोर्ट्स का विश्लेषण हमें साल के दौरान भारतीय परिदृश्य में मिस-इनफॉर्मेशन के ट्रेंड्स के बारे में रोचक जानकारी देता है।

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