Fact Check : रूस के कलाकार की कलाकृति को भगवान जगन्नाथ का दिल बताकर किया जा रहा शेयर
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीर असली दिल की नहीं, बल्कि पेड़ से बने आर्टिफिशियल दिल की तस्वीर है। रूस के एक कलाकार दिमित्री त्सिकालोव ने इस आर्टिफिशियल दिल को लकड़ी और पेड़ की छाल से बनाया है, जिसे लोग गलत दावे के साथ शेयर कर रहे हैं।
- By: Pragya Shukla
- Published: Jan 5, 2023 at 02:44 PM
- Updated: Jan 5, 2023 at 05:46 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर पेड़ से बने बड़े आकार के एक दिल की तस्वीर इन दिनों तेजी से वायरल हो रही है। तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह ओडिशा स्थित भगवान जगन्नाथ के दिल की तस्वीर है, जिसे जगन्नाथ मंदिर में संभाल कर रखा गया है।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीर असली दिल की नहीं, बल्कि पेड़ से बने आर्टिफिशियल दिल की तस्वीर है। रूस के एक कलाकार दिमित्री त्सिकालोव (Dimitri Tsykalov) ने इस आर्टिफिशियल दिल को लकड़ी और पेड़ की छाल से बनाया है, जिसे लोग गलत दावे के साथ शेयर कर रहे हैं।
क्या है वायरल पोस्ट में ?
फेसबुक यूजर दिव्या हेल्पिंग सेंटर – दिव्य सहायता केंद्र ने लंबे-चौड़े कैप्शन के साथ वायरल तस्वीर को शेयर किया हुआ है और तस्वीर पर लिखा हुआ है, भगवान कृष्ण का ह्रदय आज भी पृथ्वी पे धड़क रहा है।
इस पोस्ट का आर्काइव वर्जन यहां देखें।
पड़ताल
वायरल तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए हमने फोटो को गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें यह तस्वीर आर्टिमैग डॉट आईआर नामक एक वेबसाइट पर मिली। दी गई जानकारी के मुताबिक, वायरल तस्वीर एक आर्टवर्क की है, जिसे दिमित्री त्सिकालोव नाम के एक कलाकार ने बनाया है।
प्राप्त जानकारी के आधार पर हमने दिमित्री त्सिकालोव के बारे में सर्च करना शुरू किया। इस दौरान हमें दिमित्री त्सिकालोव की आधिकारिक वेबसाइट मिली। वेबसाइट के अनुसार, दिमित्री त्सिकालोव का जन्म 1963 में रूस में हुआ था, लेकिन अब वो पेरिस में रहते हैं और वहीं से काम करते हैं। दिमित्री त्सिकालोव एक कलाकार है, जो इस तरह की कलाकृति को बनाते हैं। हमें उनकी वेबसाइट पर भी वायरल दिल की तस्वीर मिली। दी गई जानकारी के अनुसार, दिल को लकड़ी और पेड़ की छाल से बनाया है। दिमित्री त्सिकालोव ने पेरिस के एक आर्ट वर्क एग्जीबिशन में अपने इस आर्ट की प्रदर्शनी की थी।
पड़ताल के दौरान हमें यह तस्वीर अमेरिका एक पत्रकार के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर भी इसी जानकारी के साथ शेयर मिली। हमें आर्टवर्क की कई अन्य वेबसाइट पर भी यह वायरल तस्वीर मिली।
अधिक जानकारी के लिए हमने जगन्नाथ मंदिर के पीआर से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया, “वायरल दावा गलत है। इस तस्वीर का भगवान जगन्नाथ से कोई संबंध नहीं है, लोग गलत जानकारी शेयर कर रहे हैं।”
हमारी अब तक की पड़ताल से ये साबित होता है कि यह तस्वीर जगन्नाथ भगवान के ह्रदय की नहीं है। लेकिन पोस्ट में मौजूद अन्य दावों के बारे में जानने के लिए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च करना शुरू किया।
न्यूज नेशन और दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा से पहले सोने की झाड़ू से सफाई होती है।
टीवी9 की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, भगवान जगन्नाथ मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर स्थित 20 फीट का ट्रायएंगुलर ध्वज लहराता है, इसे रोजाना बदला जाता है. झंडा हमेशा हवा की उल्टी दिशा में लहराता है। एक पुजारी मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर स्थित झंडे को रोज बदलता है। इसे बदलने का जिम्मा चोला परिवार पर है, वह इसे 800 साल से करती चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन भी झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा।
नईदुनिया, अमर उजाला और पंजाब केसरी में प्रकाशित रिपोर्टे्स के मुताबिक, भोग पकाने के लिए 7 मिट्टी के बर्तन एक- दूसरे पर रखे जाते हैं और सारा का सारा प्रसाद लकड़ी के चूल्हे पर पकाया जाता है। त्योहारों के समय में यह महाप्रसाद हजारों लोगों के लिए तैयार किया जाता है।
भगवान जगन्नाथ को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं, लेकिन किसी भी मीडिया रिपोर्ट से यह साबित नहीं होता है कि यह तस्वीर भगवान जगन्नाथ के दिल की है।
पड़ताल के अंत में हमने इस पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक दिव्या हेल्पिंग सेंटर – दिव्य सहायता केंद्र की जांच की। जांच के दौरान पता चला कि यूजर उत्तर प्रदेश की रहने वाली है। यूजर को फेसबुक पर 12 हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीर असली दिल की नहीं, बल्कि पेड़ से बने आर्टिफिशियल दिल की तस्वीर है। रूस के एक कलाकार दिमित्री त्सिकालोव ने इस आर्टिफिशियल दिल को लकड़ी और पेड़ की छाल से बनाया है, जिसे लोग गलत दावे के साथ शेयर कर रहे हैं।
- Claim Review : भगवान जगन्नाथ के दिल की तस्वीर।
- Claimed By : दिव्या हेल्पिंग सेंटर - दिव्य सहायता केंद्र
- Fact Check : झूठ
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