Fact Check: जजों की कमी को लेकर राष्ट्रपति कोविंद ने करीब पांच साल पहले दिया था यह बयान
राष्ट्रपति ने 25 नवंबर 2017 को एक सम्मेलन में न्यायपालिका में महिला, एससी, एसटी और ओबीसी जजों की कमी को लेकर चिंता जताई थी। सम्मेलन राष्ट्रीय विधि दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया था। न्यूजपेपर की कटिंग वायरल कर भ्रामक दावा किया जा रहा है।
- By: Sharad Prakash Asthana
- Published: Jul 10, 2022 at 03:07 PM
- Updated: Jul 11, 2022 at 02:52 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। न्यायपालिका में महिला, एससी, एसटी और ओबीसी जजों की कमी को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। न्यूजपेपर की कटिंग वायरल कर दावा किया जा रहा है कि राष्ट्रपति ने यह बयान हाल ही में दिया है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा भ्रामक निकला। दरअसल, नवंबर 2017 में राष्ट्रीय विधि दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति ने जजों की कमी को लेकर चिंता जताई थी। इसका हाल—फिलहाल से कोई संबंध नहीं है।
क्या है वायरल पोस्ट में
फेसबुक यूजर Saurav Lohat (आर्काइव लिंक) ने 9 जुलाई को न्यूजपेपर की कटिंग पोस्ट करते हुए लिखा,
लो सुन लो ओबीसी, एससी, एसटी और महिलाओं की अब इनको याद आई, 5 साल तक क्या करते रहे? सिर्फ हाथ जोड़ते रहे!
न्यूजपेपर की कटिंग में लिखा है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने न्यायपालिका में महिला, एससी, एसटी और ओबीसी जजों की कम संख्या पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि ‘लोअर कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कुल 17 हजार जज हैं। इनमें महिलाएं सिर्फ 4700 हैं।’ हालात सुधारने की दिशा में फौरन कदम उठाने की सलाह दी।
हालांकि, उन्होंने नियुक्तियों में गुणवत्ता से समझौता नहीं करने की सलाह दी। राष्ट्रपति नेशनल लॉ डे पर आयोजित सम्मेलन में बोल रहे थे।
पड़ताल
वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले कीवर्ड से इसको सर्च किया। इसमें हमें पांच साल पहले bhaskar में छपी खबर का लिंक मिला। इसके मुताबिक, राष्ट्रपति ने एससी-एसटी, और ओबीसी जजों की कम संख्या पर चिंता जताई। राष्ट्रीय विधि दिवस के अवसर पर सम्मेलन का आयोजन किया गया था। खबर में वायरल न्यूजपेपर की कटिंग से मिलता—जुलता कंटेंट लिखा है।
फेसबुक पेज The Republic Press पर 26 नवंबर 2017 को इसी खबर से संबंधित एक अन्य खबर की न्यूजपेपर कटिंग पोस्ट की गई है।
jagranjosh में 9 अक्टूबर 2014 को छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, 26 नवंबर को राष्ट्रीय विधि दिवस के रूप में मनाया जाता है। 26 नवंबर 1949 के करीब 30 साल के बाद सुप्रीम कोर्ट की बार एसोसिएसन ने 26 नवंबर को राष्ट्रीय विधि दिवस के रूप में घोषित किया था।
इसकी अधिक पुष्टि के लिए हमने लाइव लॉ के एसोसिएट एडिटर ब्रिज दुबे को वायरल न्यूजपेपर कटिंग भेजी। उनका कहना है,’25 नवंबर 2017 को राष्ट्रपति ने यह बात कही थी। नेशनल लॉ डे 26 नवंबर को मनाया जाता है। इसका हाल—फिलहाल से कोई संबंध नहीं है।‘
न्यूजपेपर की पुरानी कटिंग को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर ‘सौरव लोहट‘ की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। इसके मुताबिक, वह अंबाला में रहते हैं।
निष्कर्ष: राष्ट्रपति ने 25 नवंबर 2017 को एक सम्मेलन में न्यायपालिका में महिला, एससी, एसटी और ओबीसी जजों की कमी को लेकर चिंता जताई थी। सम्मेलन राष्ट्रीय विधि दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया था। न्यूजपेपर की कटिंग वायरल कर भ्रामक दावा किया जा रहा है।
- Claim Review : राष्ट्रपति कोविंद ने न्यायपालिका में महिला, एससी, एसटी और ओबीसी जजों की कम संख्या पर चिंता जताने वाला बयान हाल ही में दिया है।
- Claimed By : FB User- Saurav Lohat
- Fact Check : भ्रामक
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