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Fact Check: राजस्थान के स्कूलों से सरस्वती की प्रतिमाओं को हटाए जाने का फैसला गलत और मनगढ़ंत

हमारी पड़ताल से स्पष्ट है कि राजस्थान के स्कूलों से सरस्वती की प्रतिमाओं को हटाए जाने के दावे के साथ वयारल हो रहा पोस्ट गलत और लोगों को भ्रमित करने वाला दुष्प्रचार है।

  • By: Abhishek Parashar
  • Published: Apr 27, 2022 at 03:06 PM
  • Updated: Jun 1, 2022 at 02:29 PM

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल एक पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने सभी स्कूलों से सरस्वती की प्रतिमा को हटाने का फैसला लिया है। पोस्ट में एक अखबार की खबर और एक सरकारी सर्कुलर की प्रति को शेयर किया जा रहा है, जिसमें विद्यालयों में सरस्वती की मूर्ति की स्थापना के बारे में जानकारी मांगी गई है।

विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत और दुष्प्रचार निकला। राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में किसी व्यक्ति ने जिले की सरकारी स्कूलों में स्थापित सरस्वती मंदिरों के आदेश की सूचना मांगी थी और चूंकि यह सूचना कार्यालय में उपलब्ध नहीं थी, इसलिए जिले भर के स्कूलों से इस सूचना को मांगा गया था। इसी आदेश की प्रति को सोशल मीडिया पर इस गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है राजस्थान सरकार जल्द ही सभी सरकारी स्कूलों से सरस्वती की मूर्ति को हटाने जा रही है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर ‘Bablu Tiwari’ ने वायरल पोस्ट (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”अब राजस्थान कांग्रेस सरकार को स्कूलों में विद्या की देवी सरस्वती मंदिर में भी आपत्ती और कितना गिरेगी कांग्रेस सरकार । सभी सरकारी विद्यालयों में एक कब्र आवश्यक है, क्यों कि सरस्वती पूजा की कमी किसी को तो पूरी करनी ही पड़ेगी…राजस्थान काँग्रेस सरकार ने सभी स्कुलों में माँ सरस्वती कि मुर्तियाँ जल्द हटेंगी।*
Indian National Congress – Rajasthan #rajasthan.”

पड़ताल

वायरल पोस्ट में एक अखबार में छपी खबर और सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में मुख्य जिला अधिकारी की तरफ से जारी एक सर्कुलर को शेयर किया गया है। भीलवाड़ा डेटलाइन से लिखी गई खबर में सीडीआईओ ब्रह्मराम चौधरी के हवाले से साफ-साफ लिखा हुआ है कि आरटीआई के तहत किसी व्यक्ति ने जिले की सरकारी स्कूलों में स्थापित सरस्वती मंदिरों के आदेश की सूचना मांगी थी। यह सूचना कार्यालय में उपलब्ध नहीं होने की वजह से जिले भर से मंगाने का आदेश निकाल दिया गया।

खबर के मुताबिक, ‘आरटीआई के तहत जिले की स्कूलों में अब तक स्थापित मंदिरों की सूची, स्कूल का नाम, स्थापना किस आदेश से की गई, समेत अन्य जानकारियां मांगी गई थी।’

इसी आरटीआई के जवाब भीलवाड़ा जिले के मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी की तरफ से संबंधित सूचना उपलब्ध कराए जाने का आदेश जारी किया गया था। विश्वास न्यूज ने साथ मुख्य शिक्षा अधिकारी ने आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना के जवाब में जारी किए गए सर्कुलर की प्रति को भी साझा किया।

मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी की तरफ से विश्वास न्यूज के साथ साझा किया गया प्रपत्र

अखबार में छपी खबर या मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी की तरफ से सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के तहत सूचना उपलब्ध कराए जाने के आदेश में कहीं भी स्कूलों से सरस्वती की मूर्तियों को हटाए जाने का जिक्र नहीं है।

न्यूज सर्च में भी हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली, जिससे इस बात की पुष्टि होती है कि राजस्थान सरकार सभी स्कूलों से सरस्वती की मूर्ति को हटाने जा रही है।

विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट को लेकर भीलवाड़ा जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी ब्रह्माराम चौधरी से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘सोशल मीडिया पर मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी के नाम से जारी जिस आदेश की प्रति वायरल हो रही है, वह वास्तव में स्कूलों से सरस्वती की प्रतिमाओं को हटाने का नहीं है, बल्कि सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गई जानकारी का जवाब देने के लिए जरूरी आंकड़ों को जुटाने के लिए जारी किया गया आदेश था, क्योंकि हमारे पास ऐसी कोई जानकारी नहीं थी।’

उन्होंने कहा कि अब इस आदेश को अब प्रत्याहरित (डिस्पोज) भी किया जा चुका है और सरकार की तरफ से स्कूलों से सरस्वती की प्रतिमा (अगर किसी स्कूल में लगी है तो) को हटाए जाने का कोई फैसला नहीं लिया गया है।

मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी की तरफ से विश्वास न्यूज के साथ साझा किया गया प्रपत्र

वायरल पोस्ट को शेयर करने वाले यूजर ने अपने फेसबुक प्रोफाइल में स्वयं को मंदसौर का रहने वाला बताया है। यह प्रोफाइल विचारधारा विशेष से प्रेरित है।

निष्कर्ष: हमारी पड़ताल से स्पष्ट है कि राजस्थान के स्कूलों से सरस्वती की प्रतिमाओं को हटाए जाने के दावे के साथ वयारल हो रहा पोस्ट गलत और लोगों को भ्रमित करने वाला दुष्प्रचार है।

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