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Fact Check: ना ही हिजाब मामले पर अब तक फैसला आया है और ना कर्नाटक हाई कोर्ट में कोई जज गुस्ताख़ खान हैं, फर्जी पोस्ट हुई वायरल

विश्वास न्यूज़ ने इस वायरल दावे की पड़ताल की तो हमने पाया कि यह दावा फर्जी है। कर्नाटक हाई कोर्ट में मोहम्मद गुस्ताख़ खान नाम के कोई जज नहीं हैं, जो इस हिजाब विवाद मामले की सुनवाई कर रहे हों। इसके अलावा यह दावा भी फर्जी है कि हिजाब या बुर्का पहनने पर स्कूल में एडमिशन कैंसिल हो जायेगा।

  • By: Umam Noor
  • Published: Feb 23, 2022 at 05:58 PM

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। कर्नाटक के हाई कोर्ट में चल रही हिजाब विवाद पर सुनवाई के बाद से सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। वायरल पोस्ट में दावा किया जा रहा है की कर्नाटक हाई कोर्ट के जज मोहम्मद गुस्ताख़ खान ने हिजाब मामले पर फैसला सुनाया है और स्कूलों में हिजाब और बुर्के पर पाबंदी लगा दी और आदेश दिया है कि अगर कोई भी छात्रा हिजाब में स्कूल आएगी तो उसका एडमिशन कैंसिल हो जायेगा। जब विश्वास न्यूज़ ने इस वायरल दावे की पड़ताल की तो हमने पाया कि यह दावा फर्जी है। कर्नाटक हाई कोर्ट में मोहम्मद गुस्ताख़ खान नाम के कोई जज नहीं हैं, जो इस हिजाब विवाद मामले की सुनवाई कर रहे हों। इसके अलावा यह दावा भी फर्जी है कि हिजाब या बुर्का पहनने पर स्कूल में एडमिशन कैंसिल हो जायेगा।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर ने वायरल पोस्ट को शेयर किया, जिसमे लिखा था, ‘#कर्नाटकहाईकोर्ट के जज मोहम्मद गुस्ताख खान का फैंसला? #कर्नाटक हाई कोर्ट की बड़ी बेंच ने #हिजाब पर फैसला सुना दिया है जिसमें कहा गया कि मुस्लिम बच्चियां स्कूल में केवल स्कूल #ड्रेस में ही आ सकती हैं, उनको हिज़ाब, बुर्खे की इजाज़त नहीं होगी, अगर वो अपने #धर्म के अनुसार चाहे तो केवल सर को ढ़क सकती हैं लेकिन #हिजाब की इजात नहीं दी जा सकती यदि कोई लड़की ऐसा नही करती है तो स्कूल को बिना कारण बताए उसका #नामकाट कर घर भेजने का अधिकार होगा जिसके लिए आगे किसी भी #कोर्ट में अपील नहीं की जा सकती है? #भारत #karnataka #hijab #हिन्दुत्त्व।”

पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहाँ देखें।

पड़ताल

अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए सबसे पहले हमने गूगल न्यूज़ सर्च किया। लाइव लॉ की 11 फरवरी 2022 की खबर के मुताबिक, ‘हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जब तक मामला सुलझ नहीं जाता, तब तक किसी को भी धार्मिक पोशाक पहनने की इजाजत नहीं होगी। हाईकोर्ट ने कहा, ‘धार्मिक कपड़े जैसे- हिजाब या फिर भगवा शॉल फैसले के निपटारे तक स्कूल-कालेज परिसरों में नहीं पहने जाएंगे। हम सभी को रोकेंगे, क्योंकि हम राज्य में अमन-चैन चाहते हैं।’ पूरी खबर यहाँ पढ़ी जा सकती है।

10 फरवरी 2022 को मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति कृष्णा एस. दीक्षित और न्यायमूर्ति काजी जयबुन्निसा मोहिउद्दीन की बेंच ने अंतरिम आदेश कोई जारी किया था। और इस केस में मोहम्मद गुस्ताख खान नाम के कोई भी जज शामिल नहीं है। कर्नाटक ज्यूडिशियरी की वेबसाइट पर दी गई अंतरिम आदेश की कॉपी के मुताबिक, ‘कोर्ट के अगले आदेश तक सभी छात्रों को उनके धर्म से जुड़ी चीजें जैसे भगवा शॉल (भगवा), हिजाब, धार्मिक झंडे स्कूल में पहनने की इजाजत नहीं होगी।’

कर्नाटक ज्यूडिशियरी की वेबसाइट पर हमें जजेज़ की लिस्ट में भी जज गुस्ताख़ खान नाम का कोई भी जज नहीं मिला।

विश्वास न्यूज़ ने वायरल पोस्ट से जुड़ी पुष्टि के लिए कर्नाटक हाई कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे लॉयर अभिषेक से संपर्क किया और उन्होंने हमें बताया कि कर्नाटक हाई कोर्ट में मोहम्मद गुस्ताख़ खान नाम का कोई जज नहीं है और ना ही अब तक इस मामले में कोई फैसला आया है। उन्होंने तफ्सील देते हुए बताया कि 10 फरवरी को सुनवाई में कोर्ट की तरफ से यह कहा गया था कि जब तक इस मामले पर फैसला नहीं आ जाता, तब तक स्कूल में धार्मिक पोशाक पहनने की इजाज़त नहीं होगी। हालांकि, स्कूल एडमिशन कैंसिल कर सकते हैं इस बात का दावा बिल्कुल फर्जी है।

विश्वास न्यूज़ ने कर्नाटक हिजाब विवाद में कोर्ट की सुनवाई को कवर कर रहे लाइव लॉ के जर्नलिस्ट मुस्तफा प्लम्बर से भी संपर्क किया और वायरल पोस्ट उनके साथ शेयर की। उन्होंने हमें बताया कि यह दावा बिल्कुल बेबुनियाद है। इस मामले पर सबसे हालिया सुनवाई 22 फरवरी को हुई थी। अभी इस मामले पर कोई फैसला है आया है। इंटरिम आर्डर के मुताबिक, स्कूलों में मज़हबी पोषक नहीं पहन सकते। स्कूल में एडमिशन काटने को लेकर ऐसा कोई फैसला नहीं है। क्लास में एंट्री को लेकर है। उन्होंने आगे बताया कि कोर्ट में अब स्टेट का ऑर्गुमेंट खत्म हो चुका है, अभी रिस्पॉन्डेंट का ऑर्गुमेंट चल रहा है।
अभी इस मामले में कोई फैसला नहीं आया है।

कर्नाटक के उडुपी जिले के सरकारी कालेज से यह हिजाब विवाद शुरू हुआ था, जहाँ कुछ मुस्लिम छात्राओं को कक्षा में हिजाब पहनने से रोक दिया गया था और ऑनलाइन क्लास लेने को कहा गया था। छात्राओं ने कालेज के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में इसकी याचिका भी दायर की है और कर्नाटक हाई कोर्ट अभी इस मामले की सुनवाई कर रहा है। 22 फरवरी को हुई सुनवाई से जुडी खबर यहाँ पढ़ी जा सकती है।

अब बारी थी फर्जी पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर की सोशल स्कैनिंग करने की। हमने पाया कि यूजर को 54,590 लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने इस वायरल दावे की पड़ताल की तो हमने पाया कि यह दावा फर्जी है। कर्नाटक हाई कोर्ट में मोहम्मद गुस्ताख़ खान नाम के कोई जज नहीं हैं, जो इस हिजाब विवाद मामले की सुनवाई कर रहे हों। इसके अलावा यह दावा भी फर्जी है कि हिजाब या बुर्का पहनने पर स्कूल में एडमिशन कैंसिल हो जायेगा।

  • Claim Review : कर्नाटक हाईकोर्ट के जज मोहम्मद गुस्ताख खान का फैंसला? #कर्नाटक हाई कोर्ट की बड़ी बेंच ने #हिजाब पर फैसला सुना दिया है जिसमें कहा गया कि मुस्लिम बच्चियां स्कूल में केवल स्कूल #ड्रेस में ही आ सकती हैं, उनको हिज़ाब, बुर्खे की इजाज़त नहीं होगी, अगर वो अपने #धर्म के अनुसार चाहे तो केवल सर को ढ़क सकती हैं लेकिन #हिजाब की इजात नहीं दी जा सकती यदि कोई लड़की ऐसा नही करती है तो स्कूल को बिना कारण बताए उसका #नामकाट कर घर भेजने का अधिकार होगा जिसके लिए आगे किसी भी #कोर्ट में अपील नहीं की जा सकती है?
  • Claimed By : Pintu Banna Tal
  • Fact Check : झूठ
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