Quick Fact Check: स्कूल की किताबों पर टैक्स लगाए जाने का दावा गलत, टैक्स फ्री है स्कूली किताबें
स्कूल की किताबों पर टैक्स लगाए जाने के दावे के साथ वायरल पोस्ट फर्जी है। स्कूल की किताबों पर सरकार की तरफ से कोई टैक्स नहीं लगाया गया है।
- By: Abhishek Parashar
- Published: Sep 2, 2021 at 05:59 PM
- Updated: Jul 5, 2022 at 04:32 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक इन्फोग्राफिक्स में दावा किया जा रहा है कि स्कूल की किताबों पर टैक्स लगाने वाला भारत पहला देश बन गया है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला।
सरकार की तरफ से स्कूली किताबों पर कोई टैक्स नहीं लगाया गया है।
क्या है वायरल पोस्ट में?
सोशल मीडिया यूजर ‘Ashutosh Jyani’ ने वायरल ग्राफिक्स (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”स्कूल की किताबों पर टैक्स लगाने वाला पहला देश बना भारत…अनपढ़ रहेगा इंडिया… तभी तो भक्त बनेगा इंडिया।”
पड़ताल किए जाने तक पोस्ट को सच मानते हुए सैंकड़ों लोग लाइक कर चुके हैं। सोशल मीडिया पर अनगिनत यूजर्स ने इस इन्फोग्राफिक्स को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
पड़ताल
वायरल पोस्ट में स्कूल की किताबों पर टैक्स लगाने का दावा किया गया है। देश में नई टैक्स व्यवस्था के तहत अब वस्तु और सेवाओं पर जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) की वसूली की जाती है। किताबों पर लगने वाले टैक्स की जानकारी के लिए हमने टैक्स स्लैब और उसमें शामिल वस्तुओं की सूची खंगाली।
टैक्स और उससे संबंधित जानकारी देने वाली कई वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, किताबें और समाचार पत्र जैसी छपी हुई सामग्री पर जीएसटी की दर शून्य है। चैप्टर 49 में इस बारे में पूरी जानकारी सूची के साथ मुहैया कराई गई है।
cbic.gov.in की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी से इसकी पुष्टि होती है, जिसमें छपी हुई किताबों पर शून्य कर की जानकारी दी गई है।
सर्च में हमें ऐसे कई आर्टिकल मिले, जिसमें किताबों पर लगने वाले शून्य टैक्स की जानकारी दी गई है। ‘द हिंदू बिजनेस लाइन’ की वेबसाइट पर 27 जनवरी 2018 को प्रकाशित खबर के मुताबिक, किताबों पर शून्य फीसदी जीएसटी लगाए जाने का जिक्र है।
रिपोर्ट के मुताबिक, किताबों को जीएसटी से छूट मिली हुई है, लेकिन इसके बावजूद इसकी कीमतों में इजाफा हो सकता है और इसकी वजह प्रिंटिंग, बाइंडिंग और लेखकों को दिए जाने वाले रॉयल्टी पर लगने वाला 12 फीसदी जीएसटी टैक्स है।
गौरतलब है कि यह दावा पहले भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जिसकी पड़ताल विश्वास न्यूज ने की थी।
फैक्ट चेक के दौरान हमने टैक्स और इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट एवं अपना पैसा के चीफ एडिटर बलवंत जैन से संपर्क किया था। हमने उनसे पूछा कि क्या प्रकाशकों को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलने की वजह से यह कहना सही है कि सरकार ने किताबों पर टैक्स लगा दिया है। उन्होंने कहा, ‘यह कहना गलत है। किताबों को जीएसटी के दायर से बाहर रखा गया है। रही बात इनपुट टैक्स की तो इस लिहाज से ऐसा कोई सामान नहीं है, जिस पर हमें टैक्स नहीं देना पड़ता हो।’
हमने इसे लेकर अंकित महेश गुप्ता एंड एसोसिएट के चार्टर्ड अकाउंटेंट अंकित गुप्ता से संपर्क किया। उन्होंने भी वायरल दावे का खंडन करते हुए कहा, ‘स्कूली किताबों पर किसी तरह का टैक्स नहीं लगता है।’
सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम्स के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी इस दावे का खंडन किया गया है, जिसमें कहा गया था कि केंद्र सरकार ने स्कूली किताबों पर टैक्स लगा दिया है। सरकार की तरफ से स्कूल में पढ़ाई जाने वाली किताबों पर कोई टैक्स नहीं लगाया गया है।
सोशल मीडिया पर वायरल दावे को शेयर करने वाले यूजर ने अपनी प्रोफाइल में स्वयं को सीकर निवासी बताया है।
निष्कर्ष: स्कूल की किताबों पर टैक्स लगाए जाने के दावे के साथ वायरल पोस्ट फर्जी है। स्कूल की किताबों पर सरकार की तरफ से कोई टैक्स नहीं लगाया गया है।
- Claim Review : स्कूल की किताबों पर टैक्स लगाने वाला पहला देश बना भारत
- Claimed By : FB User-Ashutosh Jyani
- Fact Check : झूठ
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